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धर्म एवं सम्प्रदाय में अन्तर dharm avam sampraday me anter

धर्म (religion) और संप्रदाय (Sect) अलग-अलग शब्द है जिनका अलग-अलग अर्थ होता है अतः धर्म और संप्रदाय में क्या-क्या अंतर होते हैं ? यह समाज से जुड़ी हुई बहुत बड़ी प्रश्न है क्योंकि तमाम लोग ऐसे होते हैं जो कि धर्म और संप्रदाय में अंतरों को नहीं समझ पाते हैं इसलिए यदि आप भी धर्म और संप्रदाय में अंतर को जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें हमने यहां पर आपको धर्म और संप्रदाय के बारे में पूरी जानकारी आपको उपलब्ध कराने की कोशिश की है जैसा कि आप सभी लोगों को मालूम होगा कि हिंदू एक प्रकार का धर्म है और हिंदू धर्म में वैष्णव संप्रदाय शिव संप्रदाय तथा बौद्ध संप्रदाय तथा जैन संप्रदाय पाए जाते हैं इस प्रकार से हम यहां पर आपको धर्म और संप्रदाय के बारे में सभी अंतर को पूर्णतया स्पष्ट करने वाला हूं धर्म एक प्रकार का जन्मजात उत्पत्ति है जोकि धर्म कहलाता है धर्म व्यक्ति को जन्म से ही प्रदत्त होता है जैसा कि आप लोगों को मालूम हुआ कि यदि कोई बालक का जन्म हिंदू धर्म में होता है तो वह हिंदू धर्म का हो जाता है लेकिन वह आगे चलकर अपनी इच्छा अनुसार अपने संप्रदाय को बदल सकता है जोकि शैव संप्रदाय या वैष्णव संप्रदाय वह अपना सकता है संप्रदाय एक प्रकार के धर्म की शाखा होती है जैसा कि आप लोगों को मालूम होगा कि जब भी कोई पेड़ होता है तो उसके आगे चलकर आने प्रकार की शाखाएं निकलती है ठीक उसी प्रकार से धर्म एक प्रकार का पेड़ है जो कि काफी विस्तृत होता है और उसके अनेक प्रकार के संप्रदाय रूपी शाखाएं इस संसार में दिखाई देती हैं

धर्म क्या है? (What is religion)

धर्म शब्द काफी व्यापक माना जाता है जिसका अर्थ होता है कर्तव्य तथा धारण करना धर्म शब्द की उत्पत्ति धृ धातु से हुई है जिसका अर्थ काफी व्यापक होता है और इस संसार में जो कुछ हमारे धारण करने योग्य है उसे ही धर्म कहा जाता है जैसा कि आप लोगों को मालूम होगा कि हिंदू धर्म में बताया गया है कि जीव हत्या पाप है ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक हिंदू को इस बात को पूरी तरह से धारण करना चाहिए और इसका पालन करना चाहिए कि वह हिंसा ना करें और जीव हत्या ना करें इसी प्रकार से धर्म शब्द का काफी व्यापक अर्थ होता है जो कि समय समय पर प्रयोग किया जाता है और इसमें अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग धर्म भी पाए जाते हैं जैसे कि एक बालक का धर्म होता है कि वह अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करें और उनकी आज्ञा अनुसार ही कार्य करें वहीं पर माता-पिता का धर्म होता है कि वह अपने बच्चों का पालन पोषण करें तथा उसकी आवश्यकता ओं की पूर्ति करें

संप्रदाय क्या है? (What is sect?)

संप्रदायिक का एक सामान्य अर्थ होता है जिसका अर्थ होता है कि एक ही धर्म के जब अलग-अलग मानने वाले हो जाते हैं तो उसे संप्रदाय कहा जाता है जैसा कि आप लोगों को मालूम होगा कि जब भी कोई पेड़ लगाया जाता है तो उसको आगे चलकर अनेक प्रकार की शाखाएं उत्पन्न होती हैं उन शाखाओं को ही संप्रदाय का नाम दिया गया है अतः संप्रदाय एक सामान्य शब्दों में इसका प्रयोग किया जाता है जैसा कि आप लोगों को मालूम होगा कि हिंदू एक प्रकार का धर्म है जिसमें शिव संप्रदाय तथा वैष्णव संप्रदाय और बौद्ध तथा जैन संप्रदाय के रूप में विकसित हुए हैं वहीं पर मुस्लिम धर्म है तथा शिया और सुन्नी मुस्लिम धर्म के संप्रदाय हैं ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक धर्म में अलग-अलग संप्रदाय पाए जाते हैं जो कि धर्म से काफी अलग होते हैं और धर्म के द्वारा उत्पन्न होते हैं

धर्म और संप्रदाय में अंतर (difference between religion and sect)

  • धर्म मानव के जन्म पर ही आधारित होता है जबकि संप्रदाय धर्म की शाखाओं के रूप में जाना जाता है
  • धर्म शब्द का अर्थ पालन करना या धारण करना होता है जबकि संप्रदाय का अर्थ अनुयाई या मानने वाला होता है
  • धर्म का एक विस्तृत क्षेत्र होता है जबकि संप्रदाय का एक सीमित क्षेत्र होता है
  • धर्म संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है जबकि संप्रदाय धर्म का ही अंग माना जाता है
  • धर्म मुख्य होता है इसलिए यह काफी मजबूत होता है और धर्म को अक्सर बदला नहीं जा सकता है जबकि संप्रदाय शाखा होने के कारण कब मजबूत होता है और इसे समय-समय पर लोग बदलते रहते हैं
  • धर्म के अनेक संप्रदाय पाए जाते हैं जैसा कि आप लोगों ने पढ़ा है कि हिंदू धर्म के शैव संप्रदाय वैष्णव संप्रदाय तथा बौद्ध और जैन जैसे संप्रदाय हैं जबकि संप्रदाय का एक मुख्य धर्म होता है जैसे कि जैन तथा बौद्ध या वैष्णव संप्रदाय हिंदू धर्म से होता है

निष्कर्ष

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि धर्म एक प्रकार की जन्मजात व्यवस्था है जो कि यदि कोई बालक हिंदू धर्म में जन्म लेता है तो वह हिंदू धर्म का हो जाता है और वह बार-बार धर्म की अदला-बदली नहीं कर सकता है तथा धर्म का एक विस्तृत क्षेत्र होता है वहीं पर संप्रदाय धर्म की शाखा के रूप में जाना जाता है जिस प्रकार से पेड़ की अनेक शाखाएं होती है उस प्रकार से धर्म में भी अनेक प्रकार के संप्रदाय होते हैं और व्यक्ति अपने धर्म में रहते हुए अलग-अलग संप्रदाय को बदलता रहता है इस प्रकार से हमने यहां पर धर्म और संप्रदाय के बारे में पूर्णतया अंतर को स्पष्ट किया है

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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