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परिवार किसे कहते हैं? परिवार का अर्थ परिभाषा तथा विशेषताएं parivar kise kahte hain? parivar ka arth paribhasha tatha visestayen

परिवार(family) किसे कहते हैं? क्योंकि परिवार के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है यह समाज से जुड़ा हुआ एक ऐसा प्रश्न है जो कि प्रत्येक लोगों के जीवन में दिखाई देता है और प्रत्येक लोग इसका अर्थ नहीं जानते हैं इसलिए यहां पर आपको परिवार किसे कहते हैं परिवार की अर्थ परिभाषा तथा इसकी क्या-क्या विशेषताएं होती हैं ? इसके बारे में भी यहां पर सभी जानकारी आपको उपलब्ध कराई जाएगी परिवार एक हिंदी शब्द है जिसे अंग्रेजी में family भी कहा जाता है अतः परिवार के अंतर्गत एक खून से जुड़े हुए सभी लोगों को सम्मिलित किया जाता है जिसके अंतर्गत माता-पिता भाई-बहन तथा उनके बच्चे को सम्मिलित किया जाता है पहले की अपेक्षा परिवार के आधुनिक युग में अलग-अलग रूप आपको देखने को मिल जाएंगे जो कि आधुनिक युग में अधिकतर एकल परिवार के रूप में दिखाई देते हैं जिसमें पति पत्नी और उनके बच्चे होते हैं वहीं पर प्राचीन काल में अधिकतर संयुक्त परिवार की अधिकता थी जिसके अंतर्गत एक रक्त संबंधी लोगों को परिवार कहा जाता था

परिवार का अर्थ (meaning of family)

परिवार शब्द का अर्थ पराया घर के सदस्यों से लगाया जाता है जो कि उनके साथ निवास करते हैं और एक साथ उठना बैठना और खानपान करते हैं उन्हीं सदस्यों को परिवार कहा जाता है परिवार को अंग्रेजी में फैमिली भी कहा जाता है जो कि लैटिन भाषा के famulus शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है कि माता-पिता बच्चे भाई-बहन नौकर तथा दास को सम्मिलित किया जाता था जिसे परिवार की संज्ञा दी जाती है इस प्रकार से साधारण शब्दों में यह कहा जा सकता है कि हमारे घर में एक साथ निवास करने वाले लोग जो कि हमारे सुख और दुख में सहभागी होते हैं उन्हें परिवार कहा जाता है

परिवार की परिभाषा (definition of family)

परिवार की परिभाषा को और भी बेहतर ढंग से समझने के लिए तमाम समाज शास्त्रियों के द्वारा दिए गए परिभाषाएं को पढ़ने के पश्चात हम पूरी तरह से स्पष्ट करने का प्रयत्न करेंगे

मैकाइवर एवं पेज के अनुसार (maikaever avam page ke anusar)-“परिवार कुछ व्यक्तियों का एक ऐसा समूह होता है जो कि यौन संबंधों के ऊपर आधारित होता है और उन उन संबंधों के द्वारा उत्पन्न संतान का पालन पोषण किया जाता है तथा उन का भरण पोषण करने के लिए धन एकत्र किया जाता है”

मजूमदार एवं मदान के अनुसार(majoomdar avam madan ke anusar)-“परिवार शब्द व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो कि एक छत के नीचे निवास करते हैं भोजन करते हैं तथा एक दूसरे से रक्त संबंधित होते हैं जो कि प्रत्येक सुख और दुख में एक दूसरे के साथ भागी होते हैं”

ऑगबर्न एवं निकाॅफ के अनुसार(aagbarn avam nimkaf ke anusar)-“परिवार कुछ व्यक्तियों का एक ऐसा समूह होता है जिसमें अहम की भावना पाई जाती है और वह एक दूसरे से रक्त संबंधित होते हैं”

उपर्युक्त फिर भाषाओं के पढ़ने के पश्चात यह पता चलता है कि परिवार कुछ व्यक्तियों का एक ऐसा समूह होता है जो कि एक साथ रह कर अपना जीवन यापन करता है तथा संतानोत्पत्ति करता है और अपनी संतान की भरण-पोषण के लिए धन एकत्र करता है वह एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना पाई जाती है

परिवार की कुछ प्रमुख विशेषताएं (features of family)

परिवार को और भी सही तरीके से समझने के लिए आपको परिवार की कुछ प्रमुख विशेषताओं पर ध्यान देना चाहिए परिवार की अनेक प्रकार की विशेषताएं व लक्षण पाई जाती हैं जो कि निम्नलिखित है

1-सामान्य निवास स्थान (samanya nivas sthan)

परिवार के सभी सदस्यों को रहने के लिए एक घर होता है जो कि उस घर में रहकर व्यक्ति अपनी भोजन तथा अपने पत्नी के साथ जीवन व्यतीत करता है अतः परिवार का एक मुख्य लक्षण निवास स्थान होता है जो कि एक परिवार में रहने वाले व्यक्तियों का एक ही निवास स्थान अधिकतर मामलों में देखा जाता है

2-संतानोत्पत्ति (santanotpatti)

परिवार की मुख्य विशेषताओं में संतानोत्पत्ति को शामिल किया जाता है क्योंकि प्रत्येक परिवार में संतानोत्पत्ति के लिए विवाह की जाती है और अपने पत्नी के साथ यौन संबंध बनाते हुए संतानोत्पत्ति करना होता है जो कि एक परिवार का मुख्य विशेषता मानी जाती है

3-सीमित आकार (seemit aakaar)

परिवार का आकार सीमित होता है जो कि कुछ क्षेत्र में ही उनके सदस्य निवास करते हैं तथा अपने आर्थिक व्यवस्थाओं की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं और अपने जीवन यापन के लिए धन एकत्र करते हैं अतः इनके रहने का वह कार्य करने का आकार सीमित होता है

4-अहम की भावना (aham ki bhawna)

परिवार में अहम की भावना पाई जाती है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि जब कोई परिवार किसी गांव में निवास करता है तो वह अपनी सुरक्षा के लिए अहम की भावना रखता है और उनके सभी सदस्यों के विचार लगभग 1 तरह के ही होते हैं जो कि उन्हें अपनी सुरक्षा करने के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं

5-संस्कृति का हस्तांतरण (sanskriti ka hastantran)

परिवार के द्वारा संस्कृति का हस्तांतरण होता रहता है जैसा कि आप सभी लोगों को मालूम होगा कि जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके बाद उसके माता-पिता अपने पूर्वजों के द्वारा दिए गए संस्कृति को सिखाते हैं और वह परिवार में रहकर बोलने चलने के तौर तरीके तथा खान-पान उठना बैठना इत्यादि सब कुछ परिवार से ही सीखता है इसीलिए बच्चे की प्रथम पाठशाला माता-पिता को कहा गया है और परिवार को कहा गया है

6-समाजीकरण में सहायक (samajeekaran me sahayak)

परिवार की कुछ मुख्य विशेषताओं में यह विशेषता काफी उपयोगी साबित हुई है जो कि एक बालक के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और एक बालक के समाजीकरण में परिवार का काफी ज्यादा योगदान रहता है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो वह जन्म से लेकर लगभग 6 वर्षों तक अपने परिवार के साथ ही रहता है तथा अपने परिवार के द्वारा बताए गए आदेशों का पालन करता है तथा संस्कृति और सभ्यता को सीखता है जो कि परिवार के द्वारा सिखाया जाता है

7-सुख दुख में सहभागी (sukh dukh me sahbhagi)

परिवार में रहने वाले प्रत्येक सदस्य सुख दुख में सहभागी होते हैं उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि यदि परिवार का कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है इस वजह से परिवार का दूसरा सदस्य भी काफी दुखी होता है और उसका इलाज कराने के लिए वह दिन प्रतिदिन मेहनत करता है और उसका इलाज कराने के लिए अनेक प्रकार के अस्पतालों में घूमता रहता है इस प्रकार से परिवार की काफी विशेषता मानी जाती है जो कि सुख और दुख में सहभागी होते हैं

परिवार का महत्व (value of family)

जीवन में परिवार का अत्यधिक महत्व है जोकि एक मानव जीवन के लिए परिवार एक महत्वपूर्ण समिति है जहां पर रहकर व्यक्ति को अपनी निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति होती है

  1. परिवार के द्वारा संतानोत्पत्ति किया जाता है जिसके द्वारा उसका वंश चलता है और वह व्यक्ति अपने पित्र ऋण से मुक्ति हो पाता
  2. परिवार के द्वारा ही यौन इच्छाओं की पूर्ति होती है जो कि एक व्यक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और परिवार के साथ रहते हुए व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाते हुए और इच्छाओं की पूर्ति करता है
  3. परिवार में अहम की भावना पाई जाती है जो कि उसके अपने रक्षा और पालन पोषण के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है ऐसी स्थिति में कोई भी दूसरा व्यक्ति उस परिवार के किसी भी सदस्य को प्रताड़ित नहीं कर पाता है वह प्रताड़ित करने के लिए काफी संकोच करता है
  4. परिवार के द्वारा सामाजिक नियंत्रण बना हुआ रहता है क्योंकि परिवार के साथ रहता हुआ व्यक्ति एक दूसरे के साथ सहयोग तथा संघर्ष का जीवन व्यतीत करता है और इस वजह से समाज में रहते हुए व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी के रूप में कार्य करता है तथा इससे रीति-रिवाजों की तथा संस्कृति का हस्तांतरण होता रहता है जिसके वजह से व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी बन पाता है और इस प्रकार से सामाजिक नियंत्रण बरकरार रहता है
  5. परिवार के द्वारा ही समाजीकरण की प्रक्रिया संभव हो पाती है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि बच्चे की प्रथम पाठशाला माता-पिता माने जाते हैं जो कि उसे जन्म से लेकर 6 सालों तक उसका सामाजिकरण करते हैं और उसे समाज में तथा अपने परिवार में की जाने वाली रीति-रिवाजों और खानपान तथा बोलने चलने की ढंग को सीखता है

निष्कर्ष (conclusion)

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवार व्यक्तियों का समूह है जिसके अंतर्गत एक रक्त से संबंधित लोग एक छत के साथ निवास करते हैं तथा उन्हें हम की भावना पाई जाती है और अपनी सुरक्षा के लिए हुए सदैव तत्पर रहते हैं तथा एक दूसरे सदस्य के साथ काफी तालमेल होता है और इस व्यवस्था को परिवार कहा जाता है परिवार के अनेक प्रकार के महत्व पाए जाते हैं तथा विशेषताएं पाई जाती हैं जो कि उसे और भी सुदृढ़ बनाती हैं इन विशेषताओं के द्वारा यह पता लगता है कि परिवार एक ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा रहते हुए व्यक्ति विवाह करता है तथा संतानोत्पत्ति करता है जिससे कि परिवार की सुदृढ़ता बनी हुई रहती है और उस में निवास करने वाले प्रत्येक दिन सदस्यों की संख्या में कोई खास गिरावट नहीं दिखाई देने को मिलती है इस प्रकार से वह व्यक्ति अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति करता है और संतानोत्पत्ति करता है तथा उनके भरण-पोषण के लिए धन एकत्र करता है अपने परिवार के द्वारा रहकर वह अनेक प्रकार के संस्कार और रीति-रिवाजों को सीखता है जो कि उसे सिर्फ अपने माता-पिता और अपने पूर्वजों के द्वारा ही सीखने को मिलती है क्योंकि रीति रिवाज और परंपराएं सिर्फ पूर्वजों के द्वारा ही दिया गया था जो कि उसे सीखना होता है ऐसी स्थिति में परिवार की मुख्य भूमिका होती है

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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