पाठ्यक्रम का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं तथा महत्व [pathyakram ka arth, paribhasha, visestayen tatha mahatva]
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एक विद्यार्थी के जीवन से जुड़ा हुआ सबसे बड़ा प्रश्न की पाठ्यक्रम (Syllabus) किसे कहते हैं ? और पाठ्यक्रम का क्या अर्थ होता है? तथा इसकी विशेषताएं और महत्व क्या है ? इसके बारे में इस पोस्ट में आपको सभी जानकारी हम आपको प्रदान करने वाले हैं जिसके द्वारा आप पाठ्यक्रम के बारे में सभी जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं पाठ्यक्रम विद्यालयों में वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत एक निश्चित विधि होती है जो कि विद्यार्थी को पढ़ना होता है और वह विद्यार्थी उसका अनुसरण करते हुए अपने जीवन के मुख्य लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उसका अनुसरण करता है जिसे पाठ्यक्रम का नाम दिया जाता है पाठ्यक्रम एक प्रकार का ऐसा सिस्टम है जोकि अध्यापकों के द्वारा विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए तथा समाज में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है ताकि विद्यार्थियों के आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और समाज में होने वाले परिवर्तनों को भी इसमें सम्मिलित किया जाता है क्योंकि समाज में आवश्यकताएं तथा विचार अधिकतर बदलते रहते हैं ठीक उसी प्रकार से उन विचारों के साथ पाठ्यक्रम भी बदलते रहते हैं क्योंकि शिक्षा मानव समाज से जुड़ा हुआ है और पाठ्यक्रम मानव से जुड़ा हुआ है इसलिए समाज के साथ-साथ पाठ्यक्रम में भी समय-समय पर परिवर्तन होता रहता है अतः विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए बनाई गई प्रक्रिया को ही पाठ्यक्रम कहा जाता है

पाठ्यक्रम का अर्थ (meaning of syllabus)
पाठ्यक्रम दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द है पाठ्य जिसका अर्थ होता है पढ़ाई और क्रम का अर्थ होता है कतार अर्थात एक क्रमबद्ध तरीके से सुव्यवस्थित शैक्षिक प्रणाली को पाठ्यक्रम का नाम दिया गया है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि जब कोई बालक विद्यालय जाता है तो वह अध्ययन के लिए जाता है और उस बालक के सामाजिक और आर्थिक जीवन को हित में रखते हुए उसके सभी गुणों को विकास करने के लिए शिक्षकों के द्वारा एक सिस्टम बनाया जाता है जो कि अध्ययन करने का तरीका होता है और उस तरीके के द्वारा उसे पढ़ाया जाता है जैसे कि उसे कौन-कौन सा विषय पढ़ना चाहिए और उसे 1 साल में कौन-कौन सी किताबें पढ़नी है कौन-कौन सी परीक्षाएं देनी है यह सभी कार्य एक योजनाबद्ध तरीके से तैयार की जाती है जिसे पाठ्यक्रम कहा जाता है इस प्रकार की व्यवस्था के द्वारा शिक्षक विद्यार्थी को अध्ययन कराता है
पाठ्यक्रम की परिभाषा (definition of syllabus)
पाठ्यक्रम की परिभाषा को हम अनेक प्रकार के विद्वानों के द्वारा दिए गए परिभाषाएं के बाद पूरी तरह से स्पष्ट करने वाले हैं
हार्न के अनुसार (horn ke anusaar)-“पाठ्यक्रम बालकों को पढ़ाया जाने वाली वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत व्यक्ति अपने जीवन से जुड़े हुए आर्थिक तथा सामाजिक और अपनी जीविकोपार्जन उद्योग धंधे की सभी गतिविधियों को सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा सांस्कृतिक और रीति-रिवाजों को भी सम्मिलित किया जाता है”
शिक्षा आयोग के अनुसार (siksa aayog ke anusaar)-“पाठ्यक्रम का अर्थ विद्यालय में बालक को पढ़ाए जाने वाले उन सभी बातों से है जिसके अंदर सामाजिक आर्थिक तथा उसके जीवन के समस्त क्रियाकलाप सम्मिलित किया जाते हैं “
मुनरो के अनुसार (munro ke anusaar)-“पाठ्यक्रम का अर्थ विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले उन सभी क्रियाकलाप से होता है जिसके अंतर्गत बालक के समस्त गुणों का विकास होता है”
उपर्युक्त परिभाषा ओं को पढ़ने के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि पाठ्यक्रम विद्यालय में पढ़ाने की वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत बालक के सामाजिक और आर्थिक हितों को भी सम्मिलित किया जाता है और वह एक क्रमबद्ध तरीके से निश्चित होता है जो कि पढ़ाने का तरीका और पूर्व निर्धारित होता है कि उसे 1 साल में इस क्लास के अंतर्गत क्या-क्या पढ़ाया जाएगा और किस-किस बातों के बारे में बालक को ज्ञान प्राप्त होगी इसी क्रम बद्ध तरीके को पाठ्यक्रम का नाम दिया गया है
पाठ्यक्रम की विशेषताएं (Features of syllabus)
- पाठ्यक्रम परिवर्तनशील होता है जो कि व्यक्ति के विचार तथा सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कभी भी बदला जा सकता है
- पाठ्यक्रम बालक के मानसिक तथा सामाजिक विकास का एक जरिया माना जाता है
- पाठ्यक्रम के द्वारा व्यक्ति अपने जीविकोपार्जन के लिए कोई कार्य करने के लिए तत्पर हो सकता है उदाहरण के लिए यदि आप एलएलबी की पढ़ाई करते हैं तो आपको वकील की नौकरी मिल सकती है अथवा प्राइवेट वकील बन कर भी आप अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं ठीक उसी प्रकार एमबीबीएस की पढ़ाई करने के पश्चात आप डॉक्टर बन सकते हैं और अपने जीविकोपार्जन के लिए धन कमा सकते हैं
- पाठ्यक्रम के अंतर्गत बालक का सामाजिक और बौद्धिक विकास संभव हो पाता है
- पाठ्यक्रम विद्यालय का एक मुख्य अंग होता है जिसके द्वारा बालक शिक्षा ग्रहण करता है और अध्यापक उसी पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा प्रदान करता है
- पाठ्यक्रम अनुभव का एक संग्रह है जो कि प्रत्येक व्यक्तियों के अनुभव के द्वारा प्राप्त किया गया है और उसके पश्चात ही उसे एक किताब के अंतर्गत बच्चों को प्रदान की जाती है
पाठ्यक्रम का महत्व (value of syllabus)
- पाठ्यक्रम शिक्षा प्राप्त करने का एक बहुत ही अच्छा साधन है
- पाठ्यक्रम के द्वारा बालक के मानसिक और बौद्धिक गुणों का विकास होता है
- पाठ्यक्रम बालक के जीवन को संचालित करने के लिए जीविकोपार्जन का साधन प्रदान करता है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि पढ़ाई के बाद वकील डॉक्टर की पढ़ाई करना जीविकोपार्जन का साधन माना जाता है
- पाठ्यक्रम पढ़ाई कराने का एक क्रमबद्ध तरीका है जिसके द्वारा यह अनुभवी लोगों के द्वारा निर्धारित की जाती है कि बालक को किस वर्ष में कौन सी शिक्षा प्रदान करनी है
- पाठ्यक्रम शिक्षा प्राप्त करने का एक सूत्र है जिसके द्वारा बताए गए मार्ग पर पढ़ाई करते हुए व्यक्ति शिक्षा को प्राप्त करता है
- पाठ्यक्रम के द्वारा चारित्रिक विकास संभव हो पाता है
- शिक्षा के द्वारा ही नए-नए आविष्कार और विज्ञान तथा तकनीकी का विकास होता है
- पाठ्यक्रम के अंतर्गत आधुनिक युग के सभी आवश्यकताओं तथा विचारों का समावेश होता है जो कि एक बालक को पढ़ाई करने के बाद पूरी तरह से प्राप्त होता है और वह आधुनिक युग के अनुसार स्वयं को डाल देता है
निष्कर्ष
संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पाठ्यक्रम शिक्षा की व्यवस्था है जिसके अंतर्गत क्रमबद्ध तरीके से यह निर्धारित किया जाता है कि बालक को किस वर्ष में और कब कौन सी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए तथा इसके द्वारा अध्यापकों को भी काफी सुविधा होती है जिसके द्वारा वह बच्चों को शिक्षा ग्रहण कर आते हैं इन सभी प्रक्रिया को पाठ्यक्रम कहा जाता है पाठ्यक्रम का मानव जीवन में अधिक महत्व माना जाता है क्योंकि जब किसी बच्चे का जन्म होता है और वह लगभग 6 साल का हो जाता है तो उसे स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजा जाता है जिसके अंतर्गत वह पाठ्यक्रम के द्वारा जीवन से जुड़ी हुई तथा समाज से जुड़ी हुई अनेक प्रकार के जानकारी को प्राप्त करता है और आधुनिक युग के सभी परिवर्तनों तथा अनेक प्रकार की जानकारी को प्राप्त करता है पाठ्यक्रम की अनेक प्रकार की विशेषताएं भी हमने यहां पर आपको प्रदान की है जिसमें पाठ्यक्रम के द्वारा एक व्यक्ति के बौद्धिक मानसिक और चारित्रिक विकास संभव हो पाता है