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रोजगार किसे कहते हैं? रोजगार का महत्व [rojgar kise kahte hain? rojgar ka mahatva]

मानव जीवन से जुड़ा हुआ सबसे बड़ा प्रश्न रोजगार किसे कहते ? what is employment? हैं तथा रोजगार का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है ? इसके बारे में यहां पर आपको सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी साधारण शब्दों में यदि कहा जाए तो रोजगार उस प्रक्रिया को कहा जाता है जब किसी व्यक्ति के योग्यता अनुसार कार्य मिल जाता है तथा उस कार्य के बदले उचित मजदूरी प्राप्त होती है जिसके द्वारा वह अपना जीवन यापन करता है तो उसे रोजगार कहा जाता है उस कार्य के बदले प्राप्त धन को मजदूरी का नाम दिया जाता है यदि ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने को तैयार नहीं होता है जबकि उसे कार्य मिल रहा है तो उसे बेरोजगार नहीं कहा जा सकता है क्योंकि कार्य उपलब्ध होने के बावजूद भी यदि व्यक्ति कार्य नहीं करता है तो उसे बेरोजगार की संख्या में नहीं रखा जाता है रोजगार तथा बेरोजगार एक ही तराजू के 2 पलड़े हैं लेकिन इसे समझना बहुत ही अत्यंत आवश्यक है वहीं पर यदि देखा जाए कि जब किसी व्यक्ति को कार्य करने की इच्छा होती है लेकिन उसे उस व्यक्ति की योग्यता अनुसार तथा प्रचलित मजदूरी के अनुसार कार्य नहीं मिल पाता है तो उसे बेरोजगार कहा जाता है ऐसी स्थिति में तमाम लोग ऐसे होते हैं जो कि मजबूर होकर किसी अच्छे कार्य के योग्य होते हुए भी अपना जीवन यापन करने के लिए किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो उसे भी बेरोजगारी की संज्ञा में रखा जाता है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि यदि कोई डॉक्टर को काम नहीं मिल पाता है और वह किसी फैक्ट्री में हेल्पर की नौकरी करने लग जाए तो ऐसी स्थिति में उसे बेरोजगार कहा जाएगा

रोजगार किसे कहते हैं? (what is employment?)

रोजगार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति प्रतिदिन कार्य करता है और उस कार्य के बदले प्राप्त धन यानी मजदूरी को प्राप्त करके अपना जीवन यापन करता है तथा अपने बच्चों का भरण पोषण करता है इस प्रक्रिया को रोजगार कहा जाता है रोजगार प्रत्येक समाज तथा मानव जीवन के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है रोजगार की प्रक्रिया के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति के योग्य होते हुए भी उसके योग्यता अनुसार कार्य तथा मजदूरी नहीं मिल पाती है तो उसे बेरोजगार की संज्ञा दी जाती है जैसा की आप लोगों को मालूम होगा कि आधुनिक युग में तमाम पढ़े-लिखे ग्रेजुएट लोग हैं जो कि उनके योग्यता अनुसार कार्य नहीं मिल पाता है और ऐसी स्थिति में वह घर पर ही पड़े रहते हैं और कोई भी कार्य नहीं कर पाते हैं तो उन्हें बेरोजगार कहा जा सकता है वहीं पर जिन लोगों को उनके योग्यता अनुसार कार्य मिल जाता है तथा अपना जीवन का संचालन सही ढंग से कर पाते हैं और दांत होता है जिसका वह अपना घर का संचालन करने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो उसे रोजगार कहा जाता है

रोजगार का महत्व (value of job)

  • धन प्राप्ति के लिए रोजगार एक मुख्य साधन माना जाता है
  • रोजगार के द्वारा आर्थिक व्यवस्था बरकरार रहती है
  • अपने परिवार तथा बच्चों का भरण पोषण करने के लिए रोजगार अत्यंत आवश्यक है
  • देश के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्तियों को रोजगार मिल पाना अत्यंत आवश्यक माना जाता है
  • अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रोजगार अत्यंत आवश्यक है
  • रोजगार निर्धनता को दूर करने का एकमात्र साधन है
  • रोजगार के द्वारा व्यक्ति का समय बहुत ही सही तरीके से व्यतीत होता रहता है
  • रोजगार प्राप्त मनुष्य अधिकतर मामले में खुशहाल दिखाई देता है

रोजगार के प्रकार

रोजगार मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

  1. स्वरोजगार
  2. सरकारी नौकरी
  3. स्ववेतन रोजगार

1-स्वरोजगार (self job)

वह रोजगार जिसके अंतर्गत व्यक्ति किसी भी कार्य करने के लिए स्वयं लागत लगाता है तथा कार्य करता है जिसमें उस कार्य में होने वाले लाभ तथा हानि का स्वयं जिम्मेदार होता है उसे स्वरोजगार कहा जाता है इस प्रकार के रोजगार में एक ही मालिक होता है तथा एक ही नौकर होता है जो कि सिर्फ वही व्यक्ति होता है जो कार्य करने के लिए पैसे लगाता है और स्वयं कार्य भी करता है तमाम मामलों में यह भी देखा जाता है कि स्वरोजगार के अंतर्गत कुछ लोग पैसे लगाकर नौकर से काम कर आते हैं लेकिन उस से होने वाले लाभ तथा हानि के जिम्मेदार स्वयं होते हैं इस प्रकार के रोजगार को स्वरोजगार की तुलना में रखा जाता है स्वरोजगार के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

  • सब्जी के ठेले
  • टी स्टाल
  • ढाबा
  • बाइक सर्विस सेंटर
  • चाट के ठेले
  • किराना स्टोर
  • मेडिकल स्टोर
  • सभी प्रकार की दुकान

2-सरकारी नौकरी (government job)

सरकारी नौकरी रोजगार का एक बहुत बड़ा साधन है जिसके अंतर्गत व्यक्ति काफी धन प्राप्त करता है इसलिए आधुनिक युग में सरकारी नौकरी के लिए काफी ज्यादा होड़ लगी हुई है और लोग दिन-प्रतिदिन मेहनत करके पढ़ाई करते हैं तथा उसके बाद भी रिश्वत देकर सरकारी नौकरी प्राप्त करने की तलाश में रहते हैं लेकिन तमाम लोग ऐसे हैं कि इतने कोशिशों के बावजूद भी सरकारी नौकरी को नहीं प्राप्त कर पाते हैं क्योंकि आधुनिक युग में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो कि सरकारी नौकरी के लायक है लेकिन उनके पदों के लिए जगह नहीं है जिसकी वजह से वह लोग बेरोजगार हो जाते हैं ऐसी स्थिति में भारत में बेरोजगारी की संख्या काफी तेजी गति से बढ़ने लगी है अतः सरकारी नौकरी एक काफी अच्छा रोजगार माना जाता है इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

  • पुलिस की नौकरी
  • बिजली विभाग की नौकरी
  • टीटी
  • सरकारी वकील
  • सरकारी टीचर
  • बैंक मैनेजर
  • सरकारी कंपनियों के कर्मचारी
  • सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर

3- स्ववेतन रोजगार (self salary job)

इस रोजगार के अंतर्गत व्यक्ति किसी के फैक्ट्री घर तथा ऑफिस में कार्य करता है जिसके बदले में वह व्यक्ति उसे तनख्वाह प्रदान करता है जिसे स्वागतम रोजगार कहा जाता है इसके अंतर्गत वह व्यक्ति पहले ही निर्धारित कर देता है कि उसे प्रति महीना कितना रुपया वेतन मिलने वाला है इस प्रकार के रोजगार में मालिक अपनी इच्छा अनुसार कार्य करता है इस प्रकार के रोजगार में सहारा जोखिम यानी लाभ या हानि मालिक का होता है यदि उस कार्य में लाभ होता है तो मालिक को फायदा होता है और यदि हानि होता है तो उसका जिम्मेदार भी मालिक होता है तथा मालिक को ही उसका हानि झेलना होता है उस कार्य करने वाले व्यक्ति के तनख्वाह में कोई कटौती नहीं होती है इस प्रकार के रोजगार को स्ववेतन रोजगार कहा जाता है स्ववेतन रोजगार के कुछ उदाहरण निम्नलिखित

  • बैंकट मैनेजर
  • ड्राइवर
  • वॉचमैन
  • सेक्रेटरी
  • शॉपिंग मॉल मैनेजर
  • प्राइवेट कंपनियों की नौकरी

रोजगार तथा बेरोजगार में अंतर (difference between employed and unemployed)

रोजगार तथा बेरोजगार एक ही तराजू के 2 पलड़े हैं जो कि आप लोगों ने इस पोस्ट में पड़ा और आप लोग पूरी तरह से यह समझ चुके होंगे कि रोजगार किसे कहते हैं अतः रोजगार का विलोम शब्द बेरोजगार है उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि जो व्यक्ति अपना भरण पोषण करने के लिए कोई कार्य कर रहा है जिसके बदले उसे कुछ धन प्राप्त होती है तो उस व्यक्ति को रोजगार कहा जा सकता है उस की अपेक्षा जो व्यक्ति कोई भी कार्य नहीं कर पा रहा है और वह धन नहीं कमा पाता है उसे बेरोजगार कहा जाता है

निष्कर्ष (conclusion)

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि और रोजगार वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति कार्य करते हुए धन को प्राप्त करता है और उस धन के द्वारा अपने परिवार का भरण पोषण करता है तथा अपना जीवन यापन करता है और अपना तथा देश का विकास करने में सहायता प्रदान करता है उसे रोजगार कहा जाता है उस की अपेक्षा इसका विलोम शब्द ही बेरोजगार कहलाता है अतः जिस व्यक्ति को कोई भी कार्य नहीं मिल पाता है और उसके योग्यता अनुसार कार्य तथा मजदूरी नहीं मिल पाती है तो उसे बेरोजगार कहा जाता है रोजगार मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं जिसमें आप लोगों ने तीनों रोजगार के बारे में यहां पूरी जानकारी आपको उपलब्ध कराई गई है

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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