सामाजिक विघटन का अर्थ, परिभाषा तथा कारण samajik vightan ka arth, paribhasha tatha karan

सामाजिक विघटन (social disintegration) समाज में होने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि समाज के लिए काफी दुखदाई होती है और काफी खतरनाक होती है क्योंकि जब समाज में विघटन उत्पन्न होने लग जाते हैं तो ऐसी स्थिति में व्यक्तिगत विकास तथा सामूहिक और सामाजिक सभी विकास में बाधा होती है जिसके कारण समाज दिन प्रतिदिन टूटता चला जाता है और ऐसी स्थिति में विकास की स्थिति रुक जाती है यदि आप भी जानना चाहते हैं कि सामाजिक विघटन क्या है? तो यहां पर हमारे इस पोस्ट पर बने रहें क्योंकि इस पोस्ट के माध्यम से हम आप लोगों को सामाजिक विघटन के अर्थ परिभाषा तथा सामाजिक विघटन के क्या क्या कारण होते हैं? इन सभी बातों के बारे में पूरी जानकारी यहां पर आपको हम उपलब्ध कराने वाले हैं साधारण शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जब समाज मैं चलने वाले रीति रिवाज तथा समाज को नियंत्रित करने वाले कानून कार्य करना बंद कर देते हैं तो ऐसी स्थिति में सामाजिक विघटन उत्पन्न होती है और समाज में रहने वाले व्यक्तियों के बीच संबंध टूट जाते हैं ऐसी स्थिति को सामाजिक विघटन कहा जाता है

सामाजिक विघटन का अर्थ (mening of social disintegration)
सामाजिक विघटन दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द है सामाजिक जिसका अर्थ होता है समाज में प्रचलित और दूसरा शब्द है विघटन जिसका अर्थ है टूटना अर्थात समाज को संचालित करने के लिए जो नियम कानून और रीति रिवाज तथा मूल्य और अधिकार जब कार्य करना बंद कर देते हैं तो उसे सामाजिक विघटन कहा जाता है अर्थात समाज का टूटना सामाजिक विघटन कहलाता है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि यदि कोई मोटरसाइकिल के सभी पार्ट पुर्जे सही ढंग से कार्य करते हैं जैसे कि उसकी इंजन पहिए सभी सही ढंग से कार्य करते हैं तो वह मोटरसाइकिल बड़ी आसानी से संचालित किया जा सकता है यदि उनमें से किसी एक पार्ट खराब हो जाता है जैसे कि यदि एक पहिया खराब हो जाता है तो उस मोटरसाइकिल को संचालित नहीं किया जा सकता है और वह मोटरसाइकिल धीरे-धीरे खराब होने लग जाती है ठीक उसी प्रकार से समाज में जब समाज को संचालित करने वाले रीति-रिवाज नियम तथा समाज के अनुकूल कार्य करने वाले मूल्य संस्थाएं काम करना बंद कर देती हैं तो ऐसी स्थिति में सामाजिक विघटन उत्पन्न होती है जिसे समाज का टूटना कहा जाता है
सामाजिक विघटन की परिभाषा (definition of social disintegration)
सामाजिक विघटन की परिभाषा हम यहां पर अनेक प्रकार के समाज शास्त्रियों के द्वारा दिए गए भाषाओं को पढ़ने के पश्चात सामाजिक विघटन की परिभाषा को पूरी तरह से स्पष्ट करेंगे
ऑगबर्न और निमकाॅक के अनुसार (aagbarn aur nimkaf ke anusaar)-“जब संस्कृति और सभ्यता के बीच संबंधों की एकता समाप्त होने लग जाती है तो उसे सामाजिक विघटन कहा जाता है”
लैंडिस के अनुसार (landis ke anusaar)-“समाज को नियंत्रित करने वाले कारक जैसे कि संस्कृति सभ्यता रीति रिवाज तथा संस्थाएं जब अपना कार्य करना बंद कर देती हैं तो ऐसी स्थिति में समाज में दूर व्यवस्था और गड़बड़ी उत्पन्न होती है जिसे सामाजिक विघटन कहा जाता है”
उपर्युक्त परिभाषा को पढ़ने के पश्चात यह स्पष्ट होता है कि जब समाज में समाज को नियंत्रित करने वाले रीति रिवाज नियम तथा कानून को कोई मानने को तैयार नहीं होता है और प्रत्येक लोग मनमानी कार्य करने लग जाते हैं तो ऐसी स्थिति में समाज को संचालित करने में काफी परेशानी होती है तथा इस कारण से समाज में काफी दुविधा उत्पन्न होती है जिससे सामाजिक विघटन कहा जाता है
सामाजिक विघटन के कारण (reason of social disintegration)
समाज का टूटना सामाजिक विघटन कहलाता है अर्थात जब समाज के बीच पाए जाने वाले संबंध टूटने लग जाते हैं तो उसे सामाजिक विघटन का नाम दिया जाता है सामाजिक विघटन के अंतर्गत पारिवारिक विघटन लड़ाई झगड़े चोरी डकैती तथा मारकाट इत्यादि रूपों में वह हमें दिखाई देती है अतः सामाजिक विघटन के क्या कारण होते हैं वह हम आप लोगों को यहां पर नीचे पूरी तरह से बताने वाले हैं
1-धर्मनिरपेक्षता (dharmnirpeksta)
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर अनेक प्रकार के धर्म के लोग यहां पर निवास करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं अतः धर्मनिरपेक्षता सामाजिक विघटन का एक मुख्य कारण माना जाता है क्योंकि समाज में जब अलग-अलग धर्मों के लोग निवास करते हैं तो वह एक दूसरे के धर्म से काफी ज्यादा चढ़ने लग जाते हैं और इस कारण से वह एक दूसरे से ईर्ष्या द्वेष करने लग जाते हैं जिसके कारण लड़ाई झगड़े इत्यादि होते रहते हैं उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि राम मंदिर के लिए काफी लड़ाई हुई जो कि धर्मनिरपेक्षता के कारण हुई है क्योंकि भारत में अधिकतर धर्म के लोग निवास करते हैं जो कि लड़ाई झगड़े का कारण बन जाते हैं और इस वजह से धर्मनिरपेक्षता सामाजिक विघटन का एक मुख्य कारण माना जाता है
2-निर्धनता (nirdhanta)
सामाजिक विघटन के कारणों में निर्धनता भी मुख्य कारणों में सम्मिलित है क्योंकि जब व्यक्ति के पास खाने के लिए भोजन नहीं होगा तो वह व्यक्ति अपना पेट पालने के लिए रोजगार की तलाश में निकलता है लेकिन रोजगार भी ना मिल पाने के कारण वह अपना पेट भरने के लिए चोरी डकैती करता है अथवा वह भीख मांगता है ऐसी स्थिति में सामाजिक विघटन उत्पन्न होती है और समाज को तोड़ने वाले नियम कानून प्रचलित होने लग जाते हैं अतः निर्धनता सामाजिक विघटन का मुख्य कारण माना जाता है
3-एकल परिवार (single family)
सामाजिक विघटन का एक मुख्य कारण एकल परिवार को माना जाता है क्योंकि एकल परिवार के अंतर्गत व्यक्तिगत विकास के लिए घर का मुखिया दिन रात मेहनत करता है और अपना स्वयं का विकास के लिए सिर्फ और सिर्फ कार्य करता रहता है तथा कार्य करते हुए उसे बिल्कुल भी फुर्सत नहीं होती है ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति समाज और सामाजिक नियमों और कानूनों को भूल जाता है तथा उनका उल्लंघन करने लग जाता है जिसके वजह से सामाजिक विघटन की स्थिति उत्पन्न होती है
4-आर्थिक प्रधानता (aarthik pradhanta)
आप लोगों ने देखा होगा कि आधुनिक युग में अधिकतर पैसे का युग है जहां पर यदि आपके पास पैसे नहीं है तो आप किसी लायक नहीं है और आपका कोई भी कार्य नहीं हो सकता है जबकि प्राचीन काल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पैसे की इतनी ज्यादा आसानी से हो जाता था लेकिन आधुनिक युग में पैसे की प्रधानता की वजह से सामाजिक विघटन की स्थिति उत्पन्न होने लग गई है क्योंकि आप लोगों ने देखा होगा कि कभी-कभी ऐसी स्थिति भी होती है जो कि पैसे के बिना व्यक्ति की जान भी चली जाती है और तमाम व्यक्ति ऐसे हैं जो कि ऋण के बोझ से दबे हुए होते हैं और वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं जिसे सामाजिक विघटन का रूप दिया जाता है
5-जनसंख्या का स्थानांतरण (jansankhya ka sthanantran)
जनसंख्या का स्थानांतरित होना सामाजिक विघटन का एक मुख्य कारण माना जाता है क्योंकि जब व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो वह अपने रीति रिवाज तथा संस्कारों का पालन करना उचित नहीं समझता है और ऐसी स्थिति में उसे अपने रीति रिवाज तथा पूर्वजों के दिए हुए ज्ञान के प्रति कोई स्नेह नहीं रह जाता है जिसके वजह से सामाजिक नियम कानून तथा रीत रिवाज और सांस्कृतिक मूल्य व अधिकार टूटने लग जाते हैं जिससे सामाजिक विघटन कहा जाता है आधा जनसंख्या का स्थानांतरण होना सामाजिक विघटन का मुख्य कारण माना जाता है
6-जातिवाद (jaativad)
जातिवाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा समाज कई भागों में विभक्त हो चुका है और आधुनिक युग में उन जातियों के भी उपजातियां हो गई है जिसके वजह से समाज में लाखों की संख्या में जातियां पाई जाती है जिसके वजह से सामाजिक विघटन उत्पन्न होना स्वाभाविक माना जाता है क्योंकि प्रत्येक जाति के व्यक्ति अपने अपने जातियों के प्रति जागरूक होते हैं और वे एक दूसरे जाति से एशिया देश की भावना रखते हैं ऐसी स्थिति में समाज का नियंत्रित होना काफी मुश्किल हो जाता है और समाज को संचालित करने वाले नियम कानून टूटने लग जाते हैं अतः जातिवाद समाज के टूटने का अर्थात सामाजिक विघटन का कारण माना जाता है
7-बेरोजगारी (berojgari)
बेरोजगारी सामाजिक विघटन का कारण माना जाता है क्योंकि जहां पर अत्यधिक लोग पढ़े लिखे होते हुए भी उनके अनुसार कार्य नहीं मिल पाता है तो वह काफी परेशान होते हैं और ऐसी स्थिति में वह अपना जीवन यापन करने के लिए किसी भी कार्य करने के लिए तत्पर हो जाते हैं तथा ऐसी स्थिति में वह सामाजिक नियंत्रित करने वाले कानूनों तथा अपने रीति-रिवाजों को पूरी तरह से बोल कर अपना जीवन यापन करने के लिए किसी भी कार्य को करने के लिए तत्पर हो जाते हैं अतः इस वजह से भी सामाजिक विघटन की स्थिति उत्पन्न होती है