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समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं तथा उद्देश्य क्या है? samajikaran ka arth, paribhasha, visestayen, tatha uddeshya kya hain?

मनुष्य एक सामाजिक (social) प्राणी है और उसका समाज के साथ एक गहरा संबंध होता है लेकिन यहां पर प्रश्न है कि सामाजिकरण (socialization) का क्या अर्थ होता है ?तथा इसके विशेषताएं और उद्देश्य क्या होते हैं? अतः या पोस्ट समाजशास्त्र से जुड़ा हुआ प्रश्न है जिसमें आपको समाजीकरण के बारे में सभी जानकारी बहुत ही विस्तृत तरीके से यहां पर आपको उपलब्ध कराई गई है जिसको पढ़ने के पश्चात आपको समाजीकरण के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होने वाली है अतः यदि आप भी समाजीकरण का अर्थ परिभाषा तथा विशेषताएं और उद्देश्य के बारे में सभी जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं और जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें हम एजुकेशन से रिलेटेड अनेक प्रकार के प्रश्नों के उत्तर आपको उपलब्ध कराते रहते हैं

समाजीकरण का अर्थ (meaning of socialization)

समाजीकरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द “समाजी” है जिसका अर्थ होता है “समाज में रहने वाला व्यक्ति” और दूसरा शब्द “करण “है इसका अर्थ होता है कि “करना “या उसके “लायक बनाना” अता कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को समाज में रहने के लायक बनाया जाता है और उसे समाज में रहने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जाता है क्योंकि समाज में रहने के लिए सामाजिक तत्व रीति-रिवाजों कानूनों और नियमों तथा संस्कारों और संस्कृतियों को सीखना बहुत ही आवश्यक होता है इसलिए किसी भी व्यक्ति का सामाजिकरण होना अत्यंत आवश्यक होता है समाजीकरण के अनेक प्रकार के विशेषताएं पाए जाते हैं जैसे कि अलग-अलग समाज की अलग-अलग नियम होते हैं और रीति-रिवाज होते हैं जिन्हें सीखना अत्यंत आवश्यक होता है

समाजीकरण की परिभाषा (definition of socialization)

समाजीकरण की परिभाषा को और भी अच्छे तरीके से समझने के लिए अनेक प्रकार के विद्वानों के द्वारा दी गई परिभाषा पर नजर डालने के पश्चात हम सामाजिकरण की परिभाषा को बहुत ही सही ढंग से परिभाषित करने वाला हूं

raosh के अनुसार-“व्यक्ति को समाज में रहकर एक दूसरे के साथ सहयोग की भावना का विकास तथा उन लोगों के साथ रहकर कार्य करने की क्षमता तथा संकल्प के विकास को ही सामाजिकरण कहा जाता है”

गिलिन व गिलिन के अनुसार -“समाजीकरण का आशय उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत व्यक्ति समाज में एक क्रियाशील सदस्य के रूप में दिखाई देता है और समाज तथा समूह में रहते हुए व्यक्तियों के साथ संबंध स्थापित करता है तथा उस समाज में चलने वाले रीति रिवाज तथा परंपराओं को ध्यान में रखते हुए अपने आप में उन परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति समन्वय स्थापित करने की शक्ति को प्राप्त करता है”

जॉनसन के अनुसार-“सामाजिकरण एक सीखने की प्रक्रिया है जो कि उसे समाज में रहने के योग्य बनाता है तथा समाज में रहकर समाज के अनुकूल वह कार्यकर्ता है जिसे समाजीकरण कहा जाता है”

ऊपर दिए गए परी भाषाओं को पढ़ने के पश्चात यह स्पष्ट होता है कि समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति समाज से जुड़ी हुई अनेक प्रकार के संस्कृति रीति रिवाज तथा परंपराओं और ज्ञान को अर्जित करता है जो कि उसे समाज के प्रतिमाओं और मूल्यों के प्रति अनुकूलता प्रदान करता है और वह समाज में रहते हुए एक सामाजिक प्राणी के रूप में दिखाई देता है और उसे एक सामाजिक प्राणी बनने के लिए सामाजिकरण क्षमता प्रदान करता है इस प्रक्रिया को भी सामाजिकरण कहा जाता है समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा समाज में विघटन उत्पन्न नहीं होता है और सामाजिक नियंत्रण पूरी तरह से बना हुआ रहता है

सामाजिकरण की विशेषताएं (features of socialization)

समाजीकरण एक सीखने की प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा व्यक्ति संस्कृति आदर्श परंपराएं संस्कार को ग्रहण करता है और उसी के अंतर्गत वह अपना खानपान बोलना चालना तथा पहनावा इत्यादि कार्य करता है जिसकी वजह से वह समाज में एक अच्छा सामाजिक प्राणी के रूप में दिखाई देता है वहीं पर जिन लोगों का सामाजिकरण सही से नहीं हो पाता है वह समाज में रहकर अत्याचार अनाचार चोरी डकैती नशा शराब युवा झूठ बोलना चोरी करना इत्यादि कार्य करते रहते हैं जिसके द्वारा समाज विघटित होता रहता है

  1. समाजीकरण एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि सीखने की प्रक्रिया को सामाजिकरण कहा जाता है और व्यक्ति संपूर्ण जीवन देखता ही रहता है इसलिए समाजीकरण की प्रक्रिया जीवन पर्यंत चलती रहती है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि यदि आप कोई कार्य कर रहे हो और आप बार-बार असफल हो रहे हो और किसी व्यक्ति ने आपको सलाह दी कि यह कार्य ऐसे नहीं किसी और तरीके से करना चाहिए और आप उस तरीके से करते हैं और आपका कार्य सफल हो जाता है ऐसी स्थिति में भी आप समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा ही अपना कार्य सफल कर पाए हैं
  2. समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा हमारे संस्कार और संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती है क्योंकि उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि जब भी कोई बालक 3 साल का हो जाता है तो उसके माता-पिता उसे बोलना चालना उठना बैठना और खानपान के तौर तरीके उसे सिखाते हैं जो कि उसका जीवन पर्यंत के लिए होता है और वह आगे चलकर अपने बच्चों को भी वही खानपान और वही बोलने चलने का और बैठने उठने का आदत सिखाता है जो कि इस प्रकार से समाजीकरण की प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है
  3. समाजीकरण सीखने की वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत यह सिखाया जाता है कि उस समाज के अनुकूल आपको कार्य करना होता है उदाहरण के लिए आप लोग मान सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में जब कोई बालक घर से बाहर निकलता है तो वह अपने माता-पिता को प्रणाम करके जब बाहर जाता है और वहीं पर शहर की बात की जाए तो वहां पर जब कोई बालक घर से बाहर निकलता है तो वह अपने माता-पिता का प्रणाम नहीं बल्कि हाय हेलो करके घर से बाहर निकलता है ऐसी स्थिति में समाजीकरण समाज के अनुरूप कार्य करने की सीख देता है जिसमें आप लोग यह समझ सकते हैं कि अलग-अलग समाज में अलग-अलग सीखने की प्रक्रिया होती है
  4. समाजीकरण की प्रक्रिया अनुकरण करने से भी प्रभावित होती है क्योंकि जब कोई बच्चा जन्म लेता है वह उसके पश्चात ही उसका सामाजिकरण आरंभ हो जाता है वह अपने घर में रहने वाले सदस्य माता-पिता भाई-बहन के साथ निवास करता है और उसके माता-पिता तथा भाई-बहन जैसा बोलते हैं जैसा खानपान करते हैं ठीक उसी प्रकार का खानपान बोलचाल वह बच्चा आगे चलकर सीखता है इस प्रकार से समाजीकरण में अनुकरण काफी ज्यादा प्रभाव डालता है

समाजीकरण के उद्देश्य (objectives of socialization)

समाजीकरण के अनेक उद्देश्य होते हैं जब किसी बालक का जन्म होता है तो जन्म से लेकर मृत्यु तक वह सीखता ही रहता है और सीखने की प्रक्रिया को ही सामाजिकरण कहा जाता है समाजीकरण के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है

  1. समाजीकरण का उद्देश्य व्यक्ति को एक संस्कारी और समाज के अनुकूल व्यवहार करने वाला प्राणी बनाना होता है
  2. समाजीकरण के द्वारा सामाजिक जीवन जीने के लिए समन्वय स्थापित करने का क्षमता प्रदान करता है और इस क्षमता के द्वारा वह अपने समाज में रहते हुए अपना जीवन व्यतीत करता है जिसमें आपको कोई भी परेशानी नहीं होती है
  3. समाजीकरण के द्वारा व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं के निदान के लिए अनेक प्रकार की क्षमता प्रदान करता है जिसके अंतर्गत वह व्यक्ति अनेक प्रकार की समस्याओं से लड़ते हुए अपना जीवन निर्वाह करता है तथा उन समस्याओं से छुटकारा पाता है
  4. समाजीकरण के द्वारा व्यक्ति एक विकसित प्राणी बनता है और वह अपना अच्छा बुरा समझता है तथा समझने की शक्ति को प्राप्त करता है और अपना जीवन निर्वाह करते हुए अपने लिए तथा अपने संतान के लिए धन एकत्र करता है

समाजीकरण की अनोखी कहानी

समाजीकरण को और भी सही और विस्तृत रूप से समझने के लिए हमने यहां पर आपको सामाजिकरण की एक कहानी के माध्यम से स्पष्ट किया है जिसमें आपको पूरी तरह से समाजीकरण के बारे में पूरी जानकारी आपको प्राप्त होने वाली है अतः इस कहानी को ध्यान से पढ़ें

एक गांव में एक किसान रहता है जिसके दो बेटे रहते हैं और वह अपने दोनों बेटों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेज देता है और वह गुरुकुल में लगभग 25 वर्षों तक शिक्षा ग्रहण करते हैं जिसमें उन्हें अनेक प्रकार के संस्कृति और संस्कारों को पढ़ाया जाता है और संस्कारों के द्वारा उन्हें सुसज्जित किया जाता है जिसके वजह से गांव में उनका काफी चर्चा रहता है और 25 वर्षों पश्चात जब वे दोनों भाई अपने अपने घर लौटते हैं तो उसी दिन अचानक गांव में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसे देखने के लिए लोग मृतक के घर पर जाने लग जाते हैं ऐसी स्थिति में उन दोनों बेटों का पिता अपने बेटों से कहता है कि वह भी जाकर उस मृतक के घर पर उनके घर वालों से मुलाकात करें और उसे सांत्वना दें अतः वह दोनों भाई रास्ते में एक घर के अंदर दो व्यक्ति आपस में बात करते हुए सुनते हैं और वह व्यक्ति कहते हैं कि वह व्यक्ति बहुत ही निर्दई और गरीबों को सताने वाला था उसकी मृत्यु तो स्वाभाविक थी और बहुत ही अच्छा हुआ जो कि उसकी मृत्यु हो गई ऐसी स्थिति में वह दोनों बेटे मृतक के घर पर जाकर पहुंचते हैं और जोर-जोर से यह कहने लग जाते हैं कि रोना-धोना बंद करो यह व्यक्ति मर गया बहुत ही अच्छा हुआ क्योंकि यह व्यक्ति बहुत ही निर्दई स्वभाव का था और इसका मर जाना अच्छा हुआ यह सुनकर वहां पर उपस्थित सभी लोग काफी नाराज हो जाते हैं और इन दोनों भाइयों को पकड़ कर पीटने लग जाते हैं उसके पश्चात दोनों भाई घर आकर अपने पिता से यह सारी बात बताते हैं जिसके बाद उसका पिता काफी ज्यादा चिंतित हो जाता है और उसके बाद उसे समझ में आता है कि इन दोनों भाइयों ने शिक्षा तो ग्रहण की लेकिन इनका सामाजिकरण नहीं हुआ है जिसकी वजह से इनकी यह दुर्दशा हुई है फिर उस पिता ने अपने बच्चों को समझाया कि जब भी कोई व्यक्ति मर जाता है तो वहां पर जाकर सिर्फ उसकी प्रशंसा की जाती है यह एक सामाजिक रीति है और परंपरा है इसको प्रत्येक व्यक्ति को निभाना होता है

निष्कर्ष (conclusion)

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सामाजिकरण सीखने की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज में रहने के लिए अनेक प्रकार के रीति रिवाज संस्कार और परंपराओं को सीखता है जो कि उसे अपना जीवन जीने के लिए काफी आवश्यक होता है और समाज के प्रति वह अनुकूलता की भावना को स्थापित करता है जिसके वजह से वह समाज में रहते हुए अनेक प्रकार के पुरस्कार को भी प्राप्त करता है तथा धन अर्जित करता है और अपना जीवन यापन करने में सक्षम होता है समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा सामाजिक विघटन नहीं होता है और इस प्रकार से सामाजिक नियंत्रण बना हुआ रहता है इत्यादि तमाम विशेषताओं के साथ समाजीकरण की प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक मानी जाती है इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति में संस्कृति संस्कारों और व्यक्ति में समाज में रहने वाले नियमों के प्रति समन्वय स्थापित करना होता है इन्हीं शब्दों के साथ हम इस आर्टिकल में विराम लेते हैं

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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