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संयुक्त परिवार किसे कहते हैं? संयुक्त परिवार के गुण तथा दोष sanyukt parivar kise kahte hain? sanyukt parivar ke gun tatha dosh

संयुक्त परिवार joint family की परंपरा भारत में प्राचीन समय से चली आ रही है जो कि काफी पुरानी परंपरा है और परिवार को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए तथा सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयुक्त परिवार काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है ऐसे परिवार में लगभग 5 सदस्यों से अधिक और 25 सदस्य तक एक साथ और एक छत के नीचे निवास करते हैं तथा एक स्थान पर बना हुआ भोजन ग्रहण करते हैं तथा सभी लोग मिलकर कार्य करते हैं जिसमें एक घर का मुखिया होता है जो कि सबसे बुजुर्ग व्यक्ति होता है और वह घर को संचालित करने के तौर तरीके तथा कार्य करने के तरीके को सिखाता और बताता है वहीं पर औरतों का कार्य भोजन बनाना तथा सभी लोगों को भलीभांति खिलाना होता है इस प्रकार से संयुक्त परिवार हमारे देश में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हुआ है लेकिन आधुनिक युग में संयुक्त परिवार काफी ज्यादा टूटने लगे हैं क्योंकि इस परिवार में गुड़ की अपेक्षा दोष की वृद्धि होने लगी जिसके वजह से संयुक्त परिवार धीरे-धीरे टूटने लग गया

संयुक्त परिवार की परिभाषा (definition of joint family)

यहां पर हम अनेक प्रकार के समाज शास्त्रियों के द्वारा दिए गए परिभाषा ओं के द्वारा स्पष्ट करेंगे कि संयुक्त परिवार किसे कहते हैं

फेयर चाइल्ड के अनुसार (fair chaild ke anusar)-“संयुक्त परिवार व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो कि 1 साथ रहते हुए अपना जीवन यापन करता है जिसके अंतर्गत पिता पुत्र तथा उसके बेटे और पोते शामिल होते हैं|”

किंग्सले डेविस के अनुसार (kingsle davise ke anusar)-“संयुक्त परिवार के अंतर्गत एक व्यक्ति के माता-पिता भाई-बहन तथा उनके बच्चे और उनकी पत्नियां एक साथ एक छत के नीचे निवास करती है तथा एक ही स्थान पर बना हुआ भोजन ग्रहण करती हैं और संपूर्ण संपत्ति में उनकी एक भागीदारी होती है जिसे संयुक्त परिवार कहा जाता है|”

इरावती करवे के अनुसार (eravati karve ke anusar)-“संयुक्त परिवार व्यक्तियों का वह समूह है जो एक ही स्थान पर निवास करते हैं तथा एक ही रसोई में बना हुआ भोजन ग्रहण करते हैं और एक सामान्य संपत्ति होती है जिसमें परिवार के सभी सदस्यों की भागीदारी होती है और एक दूसरे से हुए रक्त संबंधित होते हैं|”

उपर्युक्त परिभाषा ओं को पढ़ने के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि संयुक्त परिवार समाज की एक ऐसी व्यवस्था है जहां पर एक रक्त से संबंधित लगभग 5 लोगों से 25 लोग एक साथ रहते हैं एक छत के नीचे सोते हैं तथा एक रसोई में बना हुआ भोजन ग्रहण करते हैं तथा एक साथ काम करते हैं जिनका मुखिया एक होता है वह घर का सबसे बढ़ावा बुजुर्ग सदस्य होता है जो कि घर का संचालन करता है और इस प्रकार से संयुक्त परिवार भारत में काफी ज्यादा सुदृढ़ बना हुआ था लेकिन आधुनिक युग में संयुक्त परिवार में कुछ दोष के कारण संयुक्त परिवार टूटने लगे और एकल परिवार में विभक्त होने शुरू हो गए

संयुक्त परिवार के गुण

संयुक्त परिवार भारत में प्राचीन समय से काफी ज्यादा प्रभावी रहा है और संयुक्त परिवार के द्वारा सामाजिक नियंत्रण बना हुआ रहता है क्योंकि संयुक्त परिवार में अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं जो कि निम्नलिखित हैं

1-श्रम विभाजन (sram vibhajan)

संयुक्त परिवार का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि ऐसे परिवार में प्रत्येक व्यक्तियों के कार्य अलग-अलग होते हैं जिसकी वजह से कार्य काफी आसानी से हो जाता है उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि यदि आप किसी कार्य को अकेले करते हैं तो वह काफी कठिन हो जाता है और आपको काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वहीं पर यदि उस कार्य को चार व्यक्ति एक साथ करने लग जाते हैं तो वह कार्य बहुत जल्द ही हो जाता है और बहुत ही आसानी से हो जाता है इस प्रकार से संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस परिवार में श्रम विभाजन पाया जाता है किसी एक कार्य को करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपना अपना भूमिका निभाते हैं जिसकी वजह से यह कार्य बहुत जल्दी और बहुत ही आसानी से समाप्त हो जाता है

2-संस्कृति का हस्तांतरण (sanskriti ka hastantran)

संयुक्त परिवार के अंतर्गत माता-पिता भाई-बहन दादा-दादी इत्यादि सभी लोग एक साथ निवास करते हैं जिसकी वजह से अपने पूर्वजों के द्वारा प्रदत्त की गई हुई संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती रहती है उदाहरण के लिए आप लोग मांग सकते हैं कि जब किसी बच्चे का दादा उसे अपने जीवन की घटनाओं की कहानियों को सुनाता है तो वह अपने जीवन की अच्छाइयों को तथा संस्कृति को उसे सिखाता है और ऐसी परिस्थिति में उसे कैसे करना चाहिए उसे भी वह अपने दादा से बहुत ही अच्छी तरह से सीखता है जिसके वजह से संस्कृति का हस्तांतरण होता रहता है

3-बच्चों के पालन पोषण में आसानी (bachon ke palan posan me aasani)

संयुक्त परिवार के द्वारा बच्चों का पालन पोषण बड़ी आसानी से हो जाता है क्योंकि घर में अधिक सदस्य होने के कारण बूढ़े बुजुर्ग लोग बच्चों को बड़ी आसानी से खिलाते रहते हैं जिसके कारण बच्चों के पालन पोषण में कोई परेशानी नहीं होती है और प्रत्येक सदस्य एक दूसरे के बच्चों का भी ध्यान रखता है जिसकी वजह से बच्चों के पालन पोषण में कोई परेशानी नहीं होती है और बड़ी आसानी से बच्चों का पालन पोषण होता रहता है

4-बच्चों का समाजीकरण (bachon ka samajikaran)

सामाजिकरण के द्वारा हम उठना बैठना खाना-पीना बोलना चालना इत्यादि सब कुछ सीखते हैं जो कि हमें अपने माता-पिता के द्वारा प्राप्त होता है ऐसी स्थिति में एकल परिवार में काफी परेशानी होती है क्योंकि एकल परिवार में परिवार का सभी सदस्य लगभग कार्य करने के लिए काफी ज्यादा परेशान होता है और धन एकत्र करता है जिसके वजह से उतना समय नहीं प्राप्त हो पाता है कि वह अपने बच्चों का सही ढंग से समाजीकरण कर सके लेकिन संयुक्त परिवार में अनेक व्यक्ति होते हैं जो कि उनका देखरेख करते रहते हैं और समाज के अनुरूप उन्हें बनाने का प्रयत्न करते हैं जिसकी वजह से बच्चों का सामाजिकरण बहुत ही अच्छे ढंग से हो जाता है

5-सामाजिक नियंत्रण (samajik niyantran)

संयुक्त परिवार प्रणाली के द्वारा सामाजिक नियंत्रण बना हुआ रहता है और आपसी प्रेम होने के कारण समाज कई टुकड़ों में विभक्त नहीं होता है जिसके वजह से यह सामाजिक नियंत्रण में काफी कारगर माना जाता है

6-कृषि के टुकड़े ना होना (krishi ke tukde na hona)

संयुक्त परिवार के द्वारा खेत के छोटे-छोटे टुकड़े नहीं होते हैं क्योंकि जब सभी लोग एक साथ निवास करते हैं और सभी लोगों के खेत एक साथ बॉय तथा काटे जाते हैं ऐसी स्थिति में खेत के बड़े टुकड़े होते हैं और वहां पर कृषि यंत्रों के द्वारा भी बड़ी आसानी से कृषि करने में मदद मिलती है जिसके द्वारा पैदावार में काफी वृद्धि होती है वहीं पर एकल परिवार में कृषि के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं जिसकी वजह से कृषि यंत्रों का संचालित होना काफी ज्यादा मुश्किल होता है

7-सामाजिक सुरक्षा (samajik suraksha)

संयुक्त परिवार में एक साथ कई लोग निवास करते हैं जिसकी वजह से सामाजिक सुरक्षा बनी हुई रहती है क्योंकि ऐसी स्थिति में यदि कोई सदस्य किसी बीमारी से परेशान हो जाता है तो दूसरा व्यक्ति उसके कार्य को संभालने में सक्षम होता है और इस प्रकार से कोई नुकसान नहीं होता है तथा उस बीमार व्यक्ति को भी कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ती है

संयुक्त परिवार के दोष

संयुक्त परिवार अनेक प्रकार के गुणों से ओतप्रोत होते हुए भी 200 से मुक्त नहीं है अतः संयुक्त परिवार प्राचीन समय से हमारे देश में काफी प्रभावी रहा है लेकिन आधुनिक युग में संयुक्त परिवार काफी टूटने लगे हैं क्योंकि संयुक्त परिवार में अनेक प्रकार के दोष उत्पन्न हुई है जिसके वजह से वह टूट कर एकल परिवार में विभक्त होने शुरू हो गए संयुक्त परिवार के कुछ दोष निम्नलिखित हैं

1-लड़ाई झगड़े (ladai jhagde)

संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी समस्या लड़ाई झगड़े की होती है क्योंकि कई लोग एक साथ निवास करने के कारण एक दूसरे से कुछ ना कुछ बात पर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं जिसके वजह से संयुक्त परिवार एकल परिवार में टूटकर विभक्त होने लगे अतः संयुक्त परिवार की सबसे बड़ी समस्या लड़ाई झगड़े की समस्या मानी जाती है क्योंकि यदि बर्तनों का ढेर इकट्ठा किया जाए तो वह आवाज करना स्वाभाविक होता है ठीक उसी प्रकार से ज्यादा लोग एक साथ निवास करते हैं तो उनमें लड़ाई झगड़े होना स्वाभाविक है

2-मुखिया की मनमानी (mukhiya ki manmani)

संयुक्त परिवार में सभी सदस्य के धन वह संपत्ति तथा कार्य की एक व्यक्ति के ऊपर जिम्मेदारी होती है जो कि घर का मुखिया कहा जाता है लेकिन संयुक्त परिवार में धीरे-धीरे लोभ और लालच के कारण मुखिया मनमानी करने लग जाता है जो कि अपने बच्चों अपने पत्नी को अच्छे खान-पान और अच्छे जीवन स्तर प्रदान करता है जबकि दूसरे सदस्यों की पत्नी और बच्चों को निम्न जीवन स्तर होता है ऐसी स्थिति में मुखिया की मनमानी भी संयुक्त परिवार का एक सबसे बड़ा दोष माना जाता है

3-व्यक्तित्व के विकास में बाधक (vyaktitva ke vikas me badhak)

अलग अलग व्यक्ति अलग अलग विचार तथा विवेक का होता है अतः संयुक्त परिवार में जब सभी लोग एक साथ निवास करते हैं तो उन सदस्यों में यदि कोई व्यक्ति प्रयत्नशील और विकासशील व्यक्ति होता है उसकी कोई भी नाम नहीं होती है सिर्फ उसके परिवार के मुखिया के नाम पर वह कार्य करता है और ऐसी स्थिति में उसका व्यक्तित्व विकसित नहीं हो पाता है उसे उसके नाम से कोई भी नहीं जानता है जिसके वजह से संयुक्त परिवार टूटना स्वाभाविक हो गया और ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए संयुक्त परिवार से अलग हो जाता है

4-जनसंख्या वृद्धि (jansankhya briddhi)

संयुक्त परिवार के द्वारा जनसंख्या वृद्धि स्वाभाविक माना जाता है क्योंकि जब सभी लोग एक साथ निवास करते हैं तो किसी एक व्यक्ति के ऊपर उसके बच्चों के पालन पोषण का भार नहीं होता है क्योंकि घर का मुखिया ही होता है जो कि घर के सभी बच्चों के पालन पोषण की व्यवस्था करता है वह पैसे की व्यवस्था करता है और सभी लोगों को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है ऐसी स्थिति में माता-पिता के ऊपर कोई भी दबाव नहीं होता है जिसके वजह से संयुक्त परिवार का कोई भी सदस्य अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए जागरूक नहीं होता है इसलिए जनसंख्या वृद्धि होना स्वाभाविक माना जाता है

5-बच्चों के विकास में बाधक (bachon ke vikas me badhak)

संयुक्त परिवार बच्चों के विकास में काफी ज्यादा बाधा उत्पन्न करता है क्योंकि जब एक साथ कई बच्चे निवास करते हैं तो उनका एक ही स्कूल होता है जहां पर सभी बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं ऐसी स्थिति में कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं तथा उन्हें बड़े स्कूल और अच्छे टीचर की जरूरत होती है जो कि उन्हें नहीं मिल पाता है क्योंकि सभी बच्चों के लिए एक ही स्कूल होता है जहां पर वह सभी बच्चे एक साथ पढ़ने के लिए जाते हैं ऐसी स्थिति में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में काफी बाधा उत्पन्न होती है जो कि भारत की विकास के लिए बाधक बना हुआ है

6-पीढ़ी के बीच तनाव (peedhi ke beech tanaw)

संयुक्त परिवार के अंतर्गत बूढ़े बुजुर्ग तथा बच्चे सभी लोग एक साथ निवास करते हैं तथा बुजुर्ग व्यक्ति अपने पुराने परंपराओं तथा रीति-रिवाजों को मानने पर अपने बच्चों को काफी विवश करता है लेकिन आधुनिक युग में लोगों का रहन-सहन खानपान और आचार विचार काफी बदल चुका है ऐसी स्थिति में वह एक दूसरे के साथ समन्वय स्थापित नहीं कर पाते हैं जिसके वजह से पीढ़ियों के बीच तनाव उत्पन्न होता है और बाप बेटे तथा दादा और बेटे में भी लड़ाई होती रहती हैं जो कि संयुक्त परिवार का सबसे बड़ा दोष माना जाता है

निष्कर्ष (conclusion)

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि जहां पर 5 सदस्य से अधिक तथा 25 सदस्य तक एक साथ निवास करते हैं एक साथ भोजन ग्रहण करते हैं तथा एक स्थान पर कार्य करते हैं और उनके आचार विचार लगभग 1 होते हैं उन्हें संयुक्त परिवार कहा जाता है तथा वे एक दूसरे से रक्त संबंधित होते हैं संयुक्त परिवार में अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं जिसमें आप लोगों ने हमारे इस पोस्ट में पड़ा है संयुक्त परिवार के द्वारा सामाजिक विघटन नहीं होता है और बच्चों के पालन पोषण में भी काफी आसानी होती है तथा श्रम विभाजन पाया जाता है जो कि प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे सदस्य की मदद की भावना से ओतप्रोत होता है लेकिन इन सभी गुणों के होने के बावजूद भी यह दोष से मुक्त नहीं है और इस पर अनेक प्रकार के दोष पाए जाते हैं जिसके वजह से आधुनिक युग में संयुक्त परिवार काफी ज्यादा टूटने लगे हैं और एकल परिवार में विभक्त होने लग गए क्योंकि संयुक्त परिवार के द्वारा जनसंख्या वृद्धि तथा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधा और बच्चों के विकास में बाधा उत्पन्न हुई और अनेक प्रकार की समस्याएं जैसे लड़ाई झगड़े एक दूसरे के प्रति तनाव उत्पन्न होने की वजह से संयुक्त परिवार टूटने लग गया और एकल परिवार में विभक्त होने लग गया

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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