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विश्वास से क्या तात्पर्य है? विश्वास और भरोसा में अंतर [viswas se kya tatparya hai? viswas aur bharosa mein anter]

आज के इस पोस्ट में हम आप लोगों को विश्वास तथा भरोसा(believe and hope) के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला हूं तथा इन दोनों में क्या अंतर पाए जाते हैं? क्योंकि विश्वास और भरोसा एक ही तराजू के 2 पलड़े हैं जिसके एक पलड़े पर विश्वास और दूसरे पल्ले पर भरोसा पाया जाता है लेकिन दोनों में काफी अंतर भी होते हैं जो हम यहां पर आप लोगों को पूरी तरह से स्पष्ट बताने वाले हैं आप लोगों ने अपने सामाजिक जीवन में विश्वास तथा भरोसा अनेक प्रकार के शब्दों में तथा अनेक प्रकार के वाक्य में इस्तेमाल करते हुए देखा होगा आता है इसका क्या मतलब होता है किस परिस्थिति में विश्वास का प्रयोग किया जाता है तथा किस परिस्थिति में भरोसा का प्रयोग किया जाता है और दोनों का क्या क्या अर्थ होता है इसके बारे में आपको इस पोस्ट में पूरी जानकारी प्राप्त होने वाली है दरअसल जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के प्रति बिना तर्क बिना प्रमाण के उम्मीद करता है तो उसे विश्वास कहा जाता है विश्वास एक प्रकार की ऐसी विचारधारा है जो कि व्यक्ति को अपने बुद्धि तथा विवेक के अनुसार अन्य व्यक्ति या वस्तु पर करना होता है इस प्रकार की अवधारणा को विश्वास कहा जाता है

विश्वास का क्या तात्पर्य है (viswas ka kya tatparya hai)

विश्वास शब्द मानव जीवन की उपयोग की जाने वाली वह शब्द है जो कि एक व्यापक शब्दों में इसका अर्थ निकाला जाता है जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु या व्यक्ति के ऊपर बिना तर्क के या बिना प्रमाण के उसे मान्य कर लेता है तो उसे विश्वास कहा जाता है विश्वास एक प्रकार की निष्ठा है जो कि व्यक्ति को अपने मस्तिष्क तथा अपने अनुभव के द्वारा प्राप्त होता है और इस वजह से जिस व्यक्ति को जिस कार्य के बारे में अनुभव होता है वह उसी कार्य के प्रति उसे विश्वास हो पाता है उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि यदि कोई व्यक्ति ड्राइवर है और अपनी गाड़ी किसी और व्यक्ति को देता है तो उसे पूर्ण विश्वास होता है कि वह गाड़ी जिसे चलाने को दे रहा है वह व्यक्ति अपनी गाड़ी को चला सकता है इस प्रकार से विश्वास एक प्रकार का व्यक्ति के मस्तिष्क का एक पर्सनल विचार होता है जो कि उसके अनुभव और ज्ञान के आधार पर प्राप्त होता है इस प्रकार की अवधारणा को विश्वास कहा जाता है

भरोसा किसे कहते हैं (what is hope)

भरोसा को अंग्रेजी में hope कहा जाता है जिसका अर्थ यह होता है कि जब कोई व्यक्ति किसी कार्य के प्रति पूर्ण रूप से आश्रित होता है तो उसे भरोसा कहा जाता है भरोसा के अंतर्गत व्यक्ति अपने मस्तिष्क तथा अनुभव का नियमन करके यह निर्धारित करता है कि कौन सा व्यक्ति किस भरोसे के लायक है उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि जब आप बाइक पर चलते हैं तो आपको बाइक पर भरोसा होता है कि वह वह उसे उसके लक्ष्य तक जरूर पहुंचाएगी इसके बावजूद मन में यह भी सस्पेंशन बना हुआ रहता है कि यह बीच रास्ते में खराब भी हो सकती है इसके लिए उसे अपने पास कुछ पैसों का इंतजाम भी करना होता है इस प्रकार की अवधारणा को भरोसा कहा जाता है भरोसा पूर्णरूपेण आश्रित नहीं होता है जबकि विश्वास एक ऐसी अवधारणा है जो कि एक बहुत ही जटिल होती है और विश्वास को तोड़ना काफी मुश्किल होता है उदाहरण के लिए आप मान सकते हैं कि यदि कोई व्यक्ति घर से बाहर निकलता है तो उसे भरोसा है कि शायद उसे बस मिल जाएगी और वह बस में बैठकर अपनी सफर करेगा लेकिन यदि उसे बस नहीं मिलती है तो वह अन्य साधन पर जा सकता है इस प्रकार की अवधारणा को भरोसा कहा जाता है भरोसा पूर्णरूपेण आश्रित नहीं होता है उसके लिए वह अन्य व्यवस्था का उपयोग कर सकता है

भरोसा और विश्वास में अंतर (difference between trust and hope)

सीरियल नंबरभरोसा (hope)विश्वास (trust)
1अपना कार्य करते हुए किसी की मदद को प्राप्त करने की उम्मीद रखना भरोसा कहलाता हैकिसी कार्य को किसी अन्य व्यक्ति को सौंपकर यह उम्मीद करना कि यह व्यक्ति यह कार्य कर सकता है इस प्रकार की प्रक्रिया को विश्वास कहा जाता है
2भरोसा व्यक्ति तथा वस्तु के इस्तेमाल तथा उसके संपर्क में रहने के बाद प्राप्त होता हैविश्वास मस्तिष्क तथा विचार और अनुभव के द्वारा प्राप्त की गई अवधारणा है
3भरोसा शब्द का प्रयोग व्यक्ति अधिकतर मामलों में करता रहता हैविश्वास शब्द का प्रयोग व्यक्ति बहुत कम ही मामलों में कर पाता है
4भरोसा में आसरा तथा उम्मीद होती हैविश्वास में आस्था तथा समर्पण का भाव पाया जाता है

निष्कर्ष (conclusion)

संपूर्ण पोस्ट पढ़ने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि भरोसा एक प्रकार की सहायता की भावना है जो व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु से करता है वहीं पर विश्वास एक प्रकार की ऐसी परंपरा है जो कि व्यक्ति अपने मस्तिष्क विचार तथा अनुभव के द्वारा प्राप्त करता है और विश्वास के अंतर्गत समर्पण की भावना पाई जाती है अतः इस पोस्ट में आपको पूरी तरह से भरोसा और विश्वास में अंतर को स्पष्ट किया गया है जो कि आप लोग ऊपर के लिस्ट में पड़ा होगा

shiva9532

My name is rahul tiwari and I am the owner and author of this blog. I am a full time blogger. I have studied B.Sc in computer science.

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